बीजिंग, तीन जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन और भारत की सेनाओं में गतिरोध के बीच शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख का औचक दौरा कर सैनिकों से मुलाकात की। उधर, चीन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी पक्ष को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे सीमा पर हालात जटिल हों।

मोदी ने लेह का दौरा किया जहां उन्होंने सेना, वायु सेना और आईटीबीपी के जवानों के साथ बातचीत की। मोदी के साथ प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी थे। 

मोदी ने कहा कि विस्तारवाद का दौर समाप्त हुआ और भारत के शत्रुओं ने उसके सशस्त्र बलों के ‘कोप और क्रोध’ को देख लिया है।

मोदी की यात्रा पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘चीन और भारत सैन्य तथा राजनयिक माध्यमों से एक दूसरे के साथ संपर्क में हैं। किसी भी पक्ष को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो सीमा पर हालात को जटिल बना दे।’’ 

दिल्ली में चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने ट्वीट किया कि चीन को ‘‘विस्तारवादी’’ के तौर पर देखना ‘‘आधारहीन’’ है और दावा किया कि चीन ने अपने 14 में से 12 पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से सीमांकन किया है।

भारत ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह चीन से द्विपक्षीय समझौतों के प्रावधानों के अनुरूप सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन तेजी से बहाल करने की अपेक्षा करता है।

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में कई जगहों पर पिछले सात सप्ताह से गतिरोध बना हुआ है। 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद तनाव और बढ़ गया।

कई दिन बाद चीन ने माना कि उसके भी जवान हताहत हुए हैं लेकिन उसने ब्योरा नहीं दिया।

झाओ ने संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि चीनी कंपनियों के माल को सीमा शुल्क मंजूरी मिलने में देरी की खबरों के बीच और चीनी कंपनियों को सड़क परियोजनाओं में शामिल होने से रोकने के भारत के फैसले के बाद बीजिंग भारत में अपने कारोबारों के वैध अधिकारों के लिहाज से जरूरी कदम उठाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय पक्ष को चीन पर गलत रणनीतिक अनुमान नहीं लगाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि वह हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समग्र तस्वीर को बनाये रखने के लिए चीन के साथ मिलकर काम करेगा।’’